आबकारी पुलिस को रोजाना सूचना देेते हैं शराब ठेकेदार, नहीं होती कोई कार्रवाई
आबकारी विभाग को पता है, लॉकडाउन में झिंझर ही सबसे अधिक बिकी
उज्जैन। शहर में अवैध शराब बिकने पर शराब के ठेकेदार आबकारी विभाग को सूचना देते हैं और छापे डलवाते हैं। यह मामले तो आम है। शहर में झिंझर बिक रही थी, इसकी सूचना क्या लायसेंसी ठेकेदारों को थी? यदि थी तो उन्होने इस दिशा में क्या किया? इस मामले में जब कुछ शराब ठेकेदारों से चर्चा की गई तो उन्होने आबकारी विभाग को कठघरे में खड़ा किया।
शराब ठेकेदारों का आरोप है कि पूरे लाकडाउन में हमने दुकानें बंद रखी। इस दौरान शहर में सबसे अधिक झिंझर ही बिकी। मुल्लापुरा में यह बनती और वहीं से सप्लाय होती। हमे शुरू से ही पता है कि कौन-कौन इसमें शामिल है। इन्होने आरोप लगाया कि सिकंदर, गब्बर तो मुख्य किरदार थे ही, निगम के अधिकारी भी इसमें शामिल थे। हमने इस बात की शिकायत लगातार आबकारी विभाग को की। यह भी बताया कि निगम की एंटी कोरोना स्क्वॉड टीम की जीप और कचरा गाड़ी में भरकर पोटली को बांटा जा रहा है। इस पर भी ध्यान नहीं दिया गया। अनलॉक के बाद भी हमने लगातार आबकारी अधिकारियों को बताया कि वे इन पर कार्रवाई करे, पता नहीं ऐसा क्यों किया गया?
हंसकर कहा…पानी कम मिलाया होगा…
जब यह पूछा गया कि इतने लम्बे समय से झिंझर बनकर बिक रही थी और लोग पी रहे हैं तो एकदम से क्या हुआ? जो इतने लोग मर गए…? शराब ठेकेदार के कर्मचारी ने हंसकर जवाब दिया- मामला मसाला बनाने का है। पानी कम मिलाया होगा या स्प्रीट और पावडर मिलावटी होगा, इसलिए ऐसा हो गया। वरना लोग सालों से पी रहे हैं।
डॉक्टर्स व्यू….300 लोग इफैक्ट
इस संबंध में चर्चा करने पर आज प्रात:जिला अस्पताल के एक फीजिशियन ने अनौपचारिक चर्चा में कहा: कम से कम 300 लोग अफेक्ट हुए हैं। जिनकी शरीरी की प्रतिरोधी क्षमता कम थी और लम्बे समय से पीने के कारण लीवर आदि डेमेज हो गए थे उनकी मौत हो गई। यदि सर्वे करवाएं तो 100 से ज्यादा लोग ऐसे मिलेंगे जो इसे पीने के बाद इम्युनिटी अच्छी होने के कारण उल्टी-दस्त तक सीमित रह गए। हॉस्पिटल तक नहीं आए।
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