इस बार घर पर करे पितरों का तर्पण क्योंकि श्राद पक्ष में भी कोरोना का साया
उज्जैन. श्राद्ध पक्ष महालय 1 सितंबर से आरंभ हो रहे हैं। धार्मिक नगरी में सोलह दिनों तक गयाकोठा तीर्थ, सिद्धवट, रामघाट आदि स्थानों पर हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति होके निमित्त जल-दूध आदि से तर्पण या पिंडदान करते हैं। इस बार कोरोना महामारी के दौर में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं कई संगठन इस बार अपने घरों में ही रहकर तर्पण करने की बात कह रहे हैं।
कोरोना संकट काल में हर त्योहार फीके हैं। इसी प्रकार महालय पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है। गयाकोठा तीर्थ के अधिष्ठाता सुमन सर ने बताया कि इसके लिए कलेक्टर साहब को पहले ही सूचना पत्र दे चुका हूं, वे जो भी दिशा-निर्देश देंगे, उसी अनुसार हम यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाएं जुटाएंगे। समय बहुत कम है, ऐसे में अभी तक उनकी ओर से मेरे पास कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
बदल रही गयाकोठा की तस्वीर
अंकपात मार्ग स्थित देशभर में प्रसिद्ध गयाकोठा तीर्थ की अब तस्वीर बदल रही है। 22 करोड़ रुपए की लागत से यहां नवमंदिर शिखर, सभामंडप, तर्पण कुटिया के साथ-साथ पीछे स्थित कुंड पर नए घाट का निर्माण कार्य जारी है। हाउसिंग बोर्ड द्वारा किए जा रहे इस कार्य के लिए धर्मस्व विभाग ने फंड दिया है।
स्कंद पुराण में मिलता है उल्लेख
मंदिरों की राजधानी में गयाकोठा का भी अपना अस्तित्व है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने गुरु सांदीपनि के पुत्रों का यहीं पर तर्पण किया था। यहां पर तर्पण व पूजन का बिहार के गयाजी जितना ही महत्व है। परिसर में सप्त ऋषि मंदिर भी है, जहां प्रतिदिन श्रद्धालुजन आते हैं।
गायत्री शक्तिपीठ पर नि:शुल्क तर्पण-पिंडदान
अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा प्रति वर्षानुसार पितृपक्ष में गायत्री शक्तिपीठ पर 01 सितंबर से श्राद्ध-तर्पण, पिंडदान संस्कार सर्वपितृमोक्ष अमावस्या 17 सितंबर तक प्रतिदिन नि:शुल्क होंगे। दिवंगत पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान अर्पित करने के इच्छुक परिजन प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे तक यहां आ सकते हैं। चौदस व अमावस्या को प्रथम पाली सुबह 7.30 से 9.30 तथा द्वितीय पाली सुबह 10 से 12 बजे तक होगी। पूजन सामग्री यहां नि:शुल्क उपलब्ध रहेगी। साथ ही शासन-प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी के लिए जारी निर्देशों का पालन संस्कार अवधि के बीच करना अनिवार्य होगा।
उज्जैन. श्राद्ध पक्ष महालय 1 सितंबर से आरंभ हो रहे हैं। धार्मिक नगरी में सोलह दिनों तक गयाकोठा तीर्थ, सिद्धवट, रामघाट आदि स्थानों पर हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति होके निमित्त जल-दूध आदि से तर्पण या पिंडदान करते हैं। इस बार कोरोना महामारी के दौर में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं कई संगठन इस बार अपने घरों में ही रहकर तर्पण करने की बात कह रहे हैं।
कोरोना संकट काल में हर त्योहार फीके हैं। इसी प्रकार महालय पर भी कोरोना का साया मंडरा रहा है। गयाकोठा तीर्थ के अधिष्ठाता सुमन सर ने बताया कि इसके लिए कलेक्टर साहब को पहले ही सूचना पत्र दे चुका हूं, वे जो भी दिशा-निर्देश देंगे, उसी अनुसार हम यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाएं जुटाएंगे। समय बहुत कम है, ऐसे में अभी तक उनकी ओर से मेरे पास कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।
बदल रही गयाकोठा की तस्वीर
अंकपात मार्ग स्थित देशभर में प्रसिद्ध गयाकोठा तीर्थ की अब तस्वीर बदल रही है। 22 करोड़ रुपए की लागत से यहां नवमंदिर शिखर, सभामंडप, तर्पण कुटिया के साथ-साथ पीछे स्थित कुंड पर नए घाट का निर्माण कार्य जारी है। हाउसिंग बोर्ड द्वारा किए जा रहे इस कार्य के लिए धर्मस्व विभाग ने फंड दिया है।
स्कंद पुराण में मिलता है उल्लेख
मंदिरों की राजधानी में गयाकोठा का भी अपना अस्तित्व है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण में मिलता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने गुरु सांदीपनि के पुत्रों का यहीं पर तर्पण किया था। यहां पर तर्पण व पूजन का बिहार के गयाजी जितना ही महत्व है। परिसर में सप्त ऋषि मंदिर भी है, जहां प्रतिदिन श्रद्धालुजन आते हैं।
गायत्री शक्तिपीठ पर नि:शुल्क तर्पण-पिंडदान
अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा प्रति वर्षानुसार पितृपक्ष में गायत्री शक्तिपीठ पर 01 सितंबर से श्राद्ध-तर्पण, पिंडदान संस्कार सर्वपितृमोक्ष अमावस्या 17 सितंबर तक प्रतिदिन नि:शुल्क होंगे। दिवंगत पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान अर्पित करने के इच्छुक परिजन प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे तक यहां आ सकते हैं। चौदस व अमावस्या को प्रथम पाली सुबह 7.30 से 9.30 तथा द्वितीय पाली सुबह 10 से 12 बजे तक होगी। पूजन सामग्री यहां नि:शुल्क उपलब्ध रहेगी। साथ ही शासन-प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी के लिए जारी निर्देशों का पालन संस्कार अवधि के बीच करना अनिवार्य होगा।
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