जाईगोग्रामा बाईक्लोराटा द्वारा विनाशकारी खरपतवार गाजरघास का नियंत्रण
उज्जैन 24 अगस्त। कृषि विज्ञान केन्द्र (रा.वि.सिं.कृ.वि.वि.) उज्जैन द्वारा 16 से 22 अगस्त तक ‘गाजरघास उन्मूलन सप्ताह’ मनाया गया। विनाशकारी खरपतवार गाजरघास अब पूरे भारतवर्ष में करीब 35 मिलियन हेक्टेयर में फैल चुकी है। गाजरघास का पौधा हर प्रकार के वातावरण में उगने की अभूतपूर्व क्षमता रखता है। इसके बीजों में शुष्क अवस्था नहीं पाई जाती है। यह नमी होने पर भी अंकुरित हो जाता है। अतः कृषि विज्ञान केन्द्र के अंगीकृत एवं क्लस्टर गांवों कचनारिया, कांकरियाचांद, गंगेडी, मौलाना, पिपल्या, लक्ष्मीपुरा, गोपाली, डिगरोदा तथा बघेरा आदि गांवों में गाजरघास के परिणाम तथा उनकी घातक बीमारियों के बारे में विस्तार से बताया। संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.आरपी शर्मा ने गाजरघास से पौधे के जीवनचक्र के बारे में विस्तृत से समझाईश दी। साथ ही गाजरघास से कम्पोस्ट बनाने की विधि भी बताई। डॉ.डीएस तोमर ने गाजरघास को बीटल कीट (जाईगोग्रामा बाईक्लोराटा) द्वारा नियंत्रण करने की विधि बताई। डॉ.रेखा तिवारी द्वारा गाजरघास के जैविक नियंत्रण के बारे में बताया गया।
डॉ.एसके कौशिक द्वारा गाजरघास से मानव, पशु तथा भूमि पर होने वाले परिणामों के बारे में विधिवत बताया गया। श्री हंसराज जाटव द्वारा ग्रामीणों को गाजरघासमुक्त खेती करने के लिये प्रेरित किया गया। डॉ.मौनी सिंह द्वारा गाजरघास द्वारा मानव को होने वाले विभिन्न रोग तथा एलर्जी के बारे में बताया गया। श्री राजेन्द्र गवली ने रासायनिक विधि के प्रयोग से गाजरघास नियंत्रण के बारे में डेमोस्ट्रेशन देकर बताया। उक्त अभियान से कुल 128 प्रगतिशील किसान व किसान महिलाएं लाभान्वित हुई।
उज्जैन 24 अगस्त। कृषि विज्ञान केन्द्र (रा.वि.सिं.कृ.वि.वि.) उज्जैन द्वारा 16 से 22 अगस्त तक ‘गाजरघास उन्मूलन सप्ताह’ मनाया गया। विनाशकारी खरपतवार गाजरघास अब पूरे भारतवर्ष में करीब 35 मिलियन हेक्टेयर में फैल चुकी है। गाजरघास का पौधा हर प्रकार के वातावरण में उगने की अभूतपूर्व क्षमता रखता है। इसके बीजों में शुष्क अवस्था नहीं पाई जाती है। यह नमी होने पर भी अंकुरित हो जाता है। अतः कृषि विज्ञान केन्द्र के अंगीकृत एवं क्लस्टर गांवों कचनारिया, कांकरियाचांद, गंगेडी, मौलाना, पिपल्या, लक्ष्मीपुरा, गोपाली, डिगरोदा तथा बघेरा आदि गांवों में गाजरघास के परिणाम तथा उनकी घातक बीमारियों के बारे में विस्तार से बताया। संस्था के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ.आरपी शर्मा ने गाजरघास से पौधे के जीवनचक्र के बारे में विस्तृत से समझाईश दी। साथ ही गाजरघास से कम्पोस्ट बनाने की विधि भी बताई। डॉ.डीएस तोमर ने गाजरघास को बीटल कीट (जाईगोग्रामा बाईक्लोराटा) द्वारा नियंत्रण करने की विधि बताई। डॉ.रेखा तिवारी द्वारा गाजरघास के जैविक नियंत्रण के बारे में बताया गया।
डॉ.एसके कौशिक द्वारा गाजरघास से मानव, पशु तथा भूमि पर होने वाले परिणामों के बारे में विधिवत बताया गया। श्री हंसराज जाटव द्वारा ग्रामीणों को गाजरघासमुक्त खेती करने के लिये प्रेरित किया गया। डॉ.मौनी सिंह द्वारा गाजरघास द्वारा मानव को होने वाले विभिन्न रोग तथा एलर्जी के बारे में बताया गया। श्री राजेन्द्र गवली ने रासायनिक विधि के प्रयोग से गाजरघास नियंत्रण के बारे में डेमोस्ट्रेशन देकर बताया। उक्त अभियान से कुल 128 प्रगतिशील किसान व किसान महिलाएं लाभान्वित हुई।
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