बाढ़ का पानी उतरते ही सामने आया तबाही का मंजर
पीएचई का टैंकर बहा, घाटों पर रखे बैरिकेड्स नदी में बहे, डस्टबीन टूटे, विद्युत पोल क्षतिग्रस्त
उज्जैन:करीब 24 घंटों तक शिप्रा नदी में बाढ़ के बाद बारिश थमते ही पानी उतरने लगा है। हालांकि सुबह तक छोटे पुल के ऊपर से पानी बह रहा था, जबकि बड़ा पुल आवागमन के लिये खुल गया। बाढ़ का पानी उतरने के बाद रामघाट क्षेत्र में तबाही का मंजर भी सामने दिखा, जिसमें लाखों की सरकारी संपत्ति नष्ट हो गई। साथ ही प्रायवेट नाव, पंडे पुजारियों का सामान आदि भी बाढ़ में बह गये हैं।
बारिश का दौर रुकने के बाद शिप्रा नदी में पानी का लेवल भी रात से कम होना शुरू हुआ। सुबह तक बड़े पुल से पानी उतरकर छोटे पुल से करीब 3 फीट ऊपर बह रहा था, जबकि नृसिंह घाट, रामानुज कोट, दानीगेट और बड़े पुल की ओर आने व जाने वाले मार्ग पर जहां एक दिन पहले बाढ़ का पानी भरा था वहां अब कीचड़ और बाढ़ में बहकर आई गाद, कचरा, जलकुंभी जमी थी।
निगम अधिकारियों ने सुबह शिप्रा नदी के रामघाट का दौरा किया और सफाई के निर्देश दिये। जिसके बाद फायर फायटर और जनरेटर से नदी के पानी से खिंचकर कीचड़ की धुलाई की जा रही थी। खास बात यह कि बाढ़ में बहकर आई गाद व कीचड़ को जेसीबी की मदद से नदी में ही बहाया जा रहा था।
दो नाव बही, एक पोल पर लटकी
शिप्रा नदी में पर्यटन विभाग द्वारा नाव का संचालन किया जाता है। बाढ़ के कारण नो पैडल नाव पानी में बह गईं जबकि एक नाव राणोजी की छत्री के चढ़ाव पर लगे पोल पर लटकी थी।
नदी के घाट पर बना नाव का प्लेटफार्म भी बहकर पोल से टकराया इस कारण पोल और प्लेटफार्म टूट गये। यहीं स्थित एक चाय की गुमटी भी टूट फूट गई। इसके अलावा पंडे पुजारियों के पटिये व पूजन सामग्री भी बाढ़ में बह गये।
शंकराचार्य चौराहे पर पेड़ के साथ गिरा पोल
शंकराचार्य चौराहा पर पुलिस द्वारा एक पोल पर सीसीटीवी कैमरे लगाये थे। इसी पोल के पास नीम का बड़ा वृक्ष लगा था। बाढ़ के कारण नीम का पेड़ सीधे पोल पर गिरा और पेड़ के साथ पोल भी सड़क पर गिरकर धराशायी हो गया।
घाटों पर लगे स्टील के डस्टबीन उखड़े
शाही सवारी के पहले नगर निगम द्वारा घाटों पर स्टील के डस्टबीन लगवाये गये जो बाढ़ में बहकर टूट गये। साथ ही घाटों के विद्युत पोल भी पानी का दबाव नहीं झेल पाये। पानी उतरने के बाद यह पोल भी या तो टूटे मिले या तिरछे हो गये।
गंभीर का एक गेट अब भी खुला
यशवंत सागर के गेट बंद होने के बावजूद गंभीर बांध में अभी पानी की आवक धीमी गति से जारी है। इस कारण गंभीर डेम का एक गेट 0.50 मीटर सुबह तक खुला था। अधिकारियों ने बताया कि गंभीर डेम की क्षमता 2250 एमसीएफटी को मेंटेन रखकर अतिरिक्त पानी को छोड़ा जा रहा है।
जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण लाखों का नुकसान
बैरिकेड्स- भगवान महाकाल सवारी में भीड़ प्रबंधन के मद्देनजर दर्जनों की संख्या में बैरिकेड्स शिप्रा नदी के विभिन्न घाटों पर लगाये गये थे, जिन्हें पीडब्ल्यूडी और पुलिस विभाग को शाही सवारी के बाद हटाना थे, लेकिन बैरिकेड्स नहीं हटाये गये जो बाढ़ आने के बाद नदी में बह गये।
पानी का टैंकर- कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से शिप्रा नदी में श्रद्धालुओं के स्नान पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया। लोगों को स्नान के लिये पीएचई का पानी का टैंकर रखा गया था, जो बाढ़ के पानी में बह गया। सुबह तक टैंकर का पता नहीं चल पाया था।
कपड़े बदलने के शेड- नगर निगम ने रामघाट पर आने वाले श्रद्धालुओं को स्नान के बाद कपड़े बदलने के लिये हजारों रुपये कीमत के दर्जनों शेड लगवाये गये थे। नदी में बाढ़ आने के बाद यह सभी शेड टूट फूट गये और कुछ पानी में बहकर बीच नदी में पहुंच गये।
पीएचई का टैंकर बहा, घाटों पर रखे बैरिकेड्स नदी में बहे, डस्टबीन टूटे, विद्युत पोल क्षतिग्रस्त
उज्जैन:करीब 24 घंटों तक शिप्रा नदी में बाढ़ के बाद बारिश थमते ही पानी उतरने लगा है। हालांकि सुबह तक छोटे पुल के ऊपर से पानी बह रहा था, जबकि बड़ा पुल आवागमन के लिये खुल गया। बाढ़ का पानी उतरने के बाद रामघाट क्षेत्र में तबाही का मंजर भी सामने दिखा, जिसमें लाखों की सरकारी संपत्ति नष्ट हो गई। साथ ही प्रायवेट नाव, पंडे पुजारियों का सामान आदि भी बाढ़ में बह गये हैं।
बारिश का दौर रुकने के बाद शिप्रा नदी में पानी का लेवल भी रात से कम होना शुरू हुआ। सुबह तक बड़े पुल से पानी उतरकर छोटे पुल से करीब 3 फीट ऊपर बह रहा था, जबकि नृसिंह घाट, रामानुज कोट, दानीगेट और बड़े पुल की ओर आने व जाने वाले मार्ग पर जहां एक दिन पहले बाढ़ का पानी भरा था वहां अब कीचड़ और बाढ़ में बहकर आई गाद, कचरा, जलकुंभी जमी थी।
निगम अधिकारियों ने सुबह शिप्रा नदी के रामघाट का दौरा किया और सफाई के निर्देश दिये। जिसके बाद फायर फायटर और जनरेटर से नदी के पानी से खिंचकर कीचड़ की धुलाई की जा रही थी। खास बात यह कि बाढ़ में बहकर आई गाद व कीचड़ को जेसीबी की मदद से नदी में ही बहाया जा रहा था।
दो नाव बही, एक पोल पर लटकी
शिप्रा नदी में पर्यटन विभाग द्वारा नाव का संचालन किया जाता है। बाढ़ के कारण नो पैडल नाव पानी में बह गईं जबकि एक नाव राणोजी की छत्री के चढ़ाव पर लगे पोल पर लटकी थी।
नदी के घाट पर बना नाव का प्लेटफार्म भी बहकर पोल से टकराया इस कारण पोल और प्लेटफार्म टूट गये। यहीं स्थित एक चाय की गुमटी भी टूट फूट गई। इसके अलावा पंडे पुजारियों के पटिये व पूजन सामग्री भी बाढ़ में बह गये।
शंकराचार्य चौराहे पर पेड़ के साथ गिरा पोल
शंकराचार्य चौराहा पर पुलिस द्वारा एक पोल पर सीसीटीवी कैमरे लगाये थे। इसी पोल के पास नीम का बड़ा वृक्ष लगा था। बाढ़ के कारण नीम का पेड़ सीधे पोल पर गिरा और पेड़ के साथ पोल भी सड़क पर गिरकर धराशायी हो गया।
घाटों पर लगे स्टील के डस्टबीन उखड़े
शाही सवारी के पहले नगर निगम द्वारा घाटों पर स्टील के डस्टबीन लगवाये गये जो बाढ़ में बहकर टूट गये। साथ ही घाटों के विद्युत पोल भी पानी का दबाव नहीं झेल पाये। पानी उतरने के बाद यह पोल भी या तो टूटे मिले या तिरछे हो गये।
गंभीर का एक गेट अब भी खुला
यशवंत सागर के गेट बंद होने के बावजूद गंभीर बांध में अभी पानी की आवक धीमी गति से जारी है। इस कारण गंभीर डेम का एक गेट 0.50 मीटर सुबह तक खुला था। अधिकारियों ने बताया कि गंभीर डेम की क्षमता 2250 एमसीएफटी को मेंटेन रखकर अतिरिक्त पानी को छोड़ा जा रहा है।
जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण लाखों का नुकसान
बैरिकेड्स- भगवान महाकाल सवारी में भीड़ प्रबंधन के मद्देनजर दर्जनों की संख्या में बैरिकेड्स शिप्रा नदी के विभिन्न घाटों पर लगाये गये थे, जिन्हें पीडब्ल्यूडी और पुलिस विभाग को शाही सवारी के बाद हटाना थे, लेकिन बैरिकेड्स नहीं हटाये गये जो बाढ़ आने के बाद नदी में बह गये।
पानी का टैंकर- कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से शिप्रा नदी में श्रद्धालुओं के स्नान पर प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगाया गया। लोगों को स्नान के लिये पीएचई का पानी का टैंकर रखा गया था, जो बाढ़ के पानी में बह गया। सुबह तक टैंकर का पता नहीं चल पाया था।
कपड़े बदलने के शेड- नगर निगम ने रामघाट पर आने वाले श्रद्धालुओं को स्नान के बाद कपड़े बदलने के लिये हजारों रुपये कीमत के दर्जनों शेड लगवाये गये थे। नदी में बाढ़ आने के बाद यह सभी शेड टूट फूट गये और कुछ पानी में बहकर बीच नदी में पहुंच गये।
