डोंगला वेधशाला का विस्तारीकरण किया जायेगा, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री सकलेचा ने डोंगला की अत्याधुनिक वेधशाला का निरीक्षण कर विस्तारीकरण सम्बन्धी बैठक ली

डोंगला वेधशाला का विस्तारीकरण किया जायेगा, उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री सकलेचा ने डोंगला की अत्याधुनिक वेधशाला का निरीक्षण कर विस्तारीकरण सम्बन्धी बैठक ली

उज्जैन 27 जुलाई। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सकलेचा ने आज महिदपुर तहसील के ग्राम डोंगला में अत्याधुनिक वेधशाला का भ्रमण कर सम्बन्धित वैज्ञानिकों एवं अधिकारियों के साथ बैठक ली। बैठक में डोंगला की वेधशाला के विस्तारीकरण पर विचार-विमर्श किया गया। वेधशाला में विभिन्न पदों की पूर्ति पर भी चर्चा की गई। उज्जैन एवं डोंगला को विज्ञान और धर्म की नगरी बनाने पर जोर दिया। साथ ही भविष्य की साइंस सिटी बनाने पर कार्य किया जायेगा। बैठक में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ओमप्रकाश सकलेचा ने सम्बन्धित अधिकारियों से कहा कि डोंगला की वेधशाला में क्या-क्या विस्तारीकरण किया जा सकता है, इसकी विस्तृत योजना तैयार की जाये, ताकि वेधशाला को बेहतर से बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। मंत्रीद्वय ने डोंगला में स्थित कर्क रेखा एवं यामोत्तर रेखा के मिलन बिन्दु पर स्थापित वराह मिहिर खगोलीय वेधशाला परिसर में ऑप्टिकल टेलीस्कोप, शंकु यंत्र, भास्कर यंत्र एवं भित्ति यंत्र का अवलोकन किया। साथ ही निर्माणाधीन ऑडिटोरियम का निरीक्षण कर सम्बन्धित एजेन्सी यूडीए के अधिकारी श्री पाटीदार को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये तथा समय-सीमा में कार्य को पूर्ण किया जाये। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक श्री बहादुरसिंह चौहान, संभागायुक्त श्री आनन्द कुमार शर्मा, कलेक्टर श्री आशीष सिंह, महिदपुर एसडीएम श्री आरपी वर्मा, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ.राजेश शर्मा, मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के महानिदेशक डॉ.अनिल कोठारी, वैज्ञानिक डॉ.भूपेश सक्सेना, इन्दौर एसजीएस आईटी के डायरेक्टर डॉ.राकेश सक्सेना आदि उपस्थित थे।

उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव ने बैठक में अवगत कराया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के ग्राम डोंगला में प्रदेश की प्रथम अत्याधुनिक वेधशाला की स्थापना की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य डोंगला को खगोल विज्ञान अनुसंधान केन्द्र के रूप में विकसित करना है। डोंगला के वेधशाला परिसर में स्थित 0.5 मीटर का ऑप्टिकल टेलीस्कोप लगाया गया है, जिसकी सहायता से अनुसंधानकर्ता, विद्यार्थी, खगोलविद और जन-सामान्य तारों, ग्रहों और आकाशगंगाओं का अवलोकन कर सकते हैं। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.यादव ने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के समन्वय से हमारे देश के वैज्ञानिक नित नई उपलब्धियों से दुनिया को चौंका रहे हैं। हमारे यहां के आविष्कारों की परम्परा बेहद प्राचीन है। खगोलशास्त्री व गणितज्ञ आर्यभट्ट ने सूर्य एवं चंद्रग्रहण की वैज्ञानिक स्थिति का आंकलन किया था। डॉ.यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि धरती अपनी धुरी पर घूमकर सूर्य की परिक्रमा करती है। इस सिद्धान्त को सर्वप्रथम आर्यभट्ट ने ही प्रतिपादित किया था। आर्यभट्ट ने ही शून्य का आविष्कार किया, जिससे पूरी दुनिया में गिनती करने में सरलता हुई है। डॉ.यादव ने कहा कि बच्चों को आविष्कारों की ओर उन्मुख करने के लिये निरन्तर प्रयास करना होंगे और उच्च स्तरीय कक्षाओं में वैज्ञानिक शोधों की ओर ज्यादा ध्यान देना होगा। विद्यालयीन स्तर पर भी इस दिशा में प्रयास करना होंगे, ताकि बच्चों में वैज्ञानिक सोच विकसित की जा सके।

वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ.राजेश शर्मा ने भी डोंगला में स्थित वेधशाला के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि शोधार्थी छात्रों के लिये वेधशाला रूचिकर एवं ज्ञानवर्धक है। हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से शोधार्थी छात्रों में वैज्ञानिक सोच को विकसित करना है। बैठक में वैज्ञानिक डॉ.भूपेश सक्सेना ने वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला की विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसी तरह आचार्य वराहमिहिर न्यास डोंगला के श्री घनश्याम रतनानी ने शंकु यंत्र, भास्कर यंत्र एवं भित्ति यंत्र के बारे में निरीक्षण के दौरान विस्तार से जानकारी दी और बताया कि गोलाकार ओटले पर शंकु यंत्र लगा है, जिसकी छाया के आधार पर गणित और ज्योतिष का अध्ययन किया जाता है। उन्होंने कहा कि डोंगला खगोल विज्ञान में अनुसंधान और ज्योतिषशास्त्र में अध्ययन की दृष्टि से अत्यन्त उपयुक्त स्थान माना जाता है। कर्क रेखा ग्राम डोंगला से ही गुजरती है। उन्होंने बताया कि विद्वानों के अनुसार इस स्थान को कर्क रेखा एवं यामोत्तर रेखा का मिलन बिन्दु भी माना जाता है। मंत्रीद्वय, विधायक एवं अधिकारियों ने वेधशाला परिसर स्थित निर्माणाधीन ऑडिटोरियम का निरीक्षण किया। निर्माण एजेन्सी उज्जैन विकास प्राधिकरण के अधिकारी को निर्देश दिये कि वे समय-सीमा में निर्माण पूरा करें। ऑडिटोरियम के बन जाने से अंतरिक्ष विज्ञान से सम्बन्धित गोष्ठियों तथा सेमीनार आदि कार्यक्रम आयोजित किये जा सकेंगे। 200 सीट की क्षमता के ऑडिटोरियम भवन का निर्माण किया जा रहा है। भवन विशिष्ट तकनीकी प्रकृति का शैलनुमा छत वाला स्ट्रक्चर है, जिसमें भूतल पर भव्य स्टेज, दर्शकों हेतु सीट व्यवस्था, दो ग्रीन रूम एवं लॉन्ज, प्रथम तल पर आगन्तुक कलाकारों हेतु दो गेस्ट रूम मय टॉयलेट आदि का निर्माण किया गया है। वर्तमान में इंटीरियर डेकोरेशन कार्य के अन्तर्गत फाल्स सीलिंग, एकास्टिक वाल पेनलिंग, कारपेट लगाकर सीटिंग चेयर, लाईट एण्ड साउण्ड सिस्टम, ऑडियो-वीडियो कंट्रोल रूम सहित वातानुकूलित एवं आगम-निर्गम हेतु भव्य द्वार, आधुनिकतम संसाधनों से सुसज्जित विद्युत व्यवस्था, साउण्डप्रूफ इनडोर, दुर्घटना प्रबंधन हेतु अलार्म सिस्टम, स्मोक डिटेक्टर, फायर फाईटिंग आदि का प्रावधान रखा गया है।

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