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आचार्यश्री के बैठते ही लाखों का हो गया मामूली पत्थर


आचार्यश्री विद्यासागर महाराज दमोह से विहार कर पथरिया की ओर निकले थे। रास्ते में शहर से करीब नौ किलोमीटर दूर सेमरा तिराहे पर बलराम पटैल की चायपान की दुकान है दुकान के सामने ही बरगद का पेड़ लगा है आचार्य श्री कुछ पल के लिए बरगद के नीचे रखे पत्थर पर बैठ गए...

आचार्य श्री को देख चाय दुकान संचालक बलराम गदगद हो गया उसने आचार्य श्री के चरण छुए और उनका विहार होते ही पत्थर को सिद्ध स्थल पर रख दिया...

आचार्य श्री के आसन जमाने की बात सुनकर भक्त दुकान संचालक के पास पहुंचे। दुकान संचालक से पत्थर मांगने लगे। पांच हजार रुपए से शुरू हुई बोली पांच लाख तक पहुंच गई। लाख मनुहार करने के बाद भी दुकानदार ने पत्थर बेचने से मना कर दिया। उसने साफ कह दिया कि किसी भी कीमत पर यह पत्थर नहीं बेचेगा...

हुआ हृदय परिवर्तन
चाय दुकान संचालक बलराम पत्थर को अब ईश्वर की तरह पूज रहा है। उसका कहना है कि जिस संत के दर्शन पाने के लिए करोड़पति लाइन में खड़े रहते हैं। वह संत स्वयं ही उनकी दुकान तक पहुंच गये यह कोई मामूली बात नहीं है ये तो प्रभू की कृपा है । वह उस पत्थर को आचार्यश्री की कृपा समझकर पूज रहा है...

धन्य है आचार्य श्री जी के ऐसे भक्त भी

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