अगस्त के प्रथम सप्ताह में मनाया जा रहा है विश्व स्तनपान सप्ताह

अगस्त के प्रथम सप्ताह में मनाया जा रहा है विश्व स्तनपान सप्ताह


उज्जैन 04 अगस्त। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल ने जानकारी दी कि प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व स्तनपान सप्ताह का आयोजन 1 से 7 अगस्त तक किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इसका उद्देश्य लोगों में शिशुओें के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिये स्तनपान के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इस वर्ष स्तनपान सप्ताह की मुख्य थीम ‘एक स्वस्थ ग्रह के लिये स्तनपान का समर्थन करें, कोविड-19 एक मौका है स्तनपान पर कार्यवाही को मजबूत करने का’। इस थीम का मुख्य उद्देश्य मां एवं नवजात शिशु के लिये स्तनपान की सुरक्षात्मक भूमिका, पर्यावरण पर डिब्बाबन्द दूध के हानिकारक प्रभावों तथा स्तनपान को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न स्तरों पर सामुदायिक जागरूकता लाना है। बच्चे के लिये मां का दूध उपयुक्त एवं प्राकृतिक भोजन है। इससे बच्चे को परिपूर्ण पोषक तत्व, एंटीबॉडी, प्रतिरक्षण तत्व प्राप्त होते हैं। इससे बच्चो बैक्टिरिया और वायरस से लड़ने में सक्षम हो जाता है। यह बच्चे की सभी जरूरतों को पूरा करता है, चाहे बच्चे का जन्म समय से पहले ही क्यों न हो गया हो। इसके अलावा मां का दूध बच्चे को दस्त, ब्रोंकाइटिस, निमोनिया, एलर्जी, डायबिटीज से भी बचाता है। जन्म के एक घंटे के अन्दर बच्चे को पहला स्तनपान करवाया जाता है, जो अगले छह माह तक जारी रहता है। इस दौरान मां का दूध ही बच्चे का आहार होता है। बच्चे को ऊपर से कुछ भी देने की जरूरत नहीं है।

शिशु के लिये स्तनपान के लाभ

मां का पहला दूध कोलोस्ट्रम कहलाता है, जिसमें एंटीबॉडी प्रचुर मात्रा में होते हैं। ये शिशु को कई प्रकार के संक्रमणों से बचाता है। मां के दूध में बच्चे के लिये कई आवश्यक प्रोटीन, फेट, कैलोरी, लेक्टोज, विटामिन, लौह, खनिज, पानी और एंजाईम की पर्याप्त मात्रा होती है और यह पचाने में भी आसान होता है। यह मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। स्तनपान करने वाले बच्चों में मरने का जोखिम कम होता है। इससे बच्चों में बेहतर प्रतिरक्षण तंत्र विकसित होने से परिवारों के स्वास्थ्य बजट में कमी आती है और स्वस्थ एवं खुशहाल राष्ट्र का निर्माण होता है।

मां के लिये स्तनपान के लाभ

शिशु की मां को स्तनपान के कुछ तत्काल लाभ होते हैं, जैसे प्रसव के बाद रक्तस्त्राव एवं एनीमिया की संभावना कम होना, प्रसव के बाद शरीर का सामान्य आकार में सहायता मिलना आदि। इसके अलावा स्तनपान कराते रहने से शिशु की मां को स्तन कैंसर और गर्भाशय कैंसर की संभावना कम होती है। इसीलिये आमजन से यह अपील है कि वे घर-घर बस यही सन्देश पहुंचाये कि नवजात को नियमित स्तनपान करायें।

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